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खूबसूरत मोहब्बत पार्ट-13

खूबसूरत मोहब्बत पार्ट-13



उन तीनो की लाशों को उनके घर पहुंचाया। घर पहुंच कर हालत ऐसे थे की कोई घर में कोई रोने वाला भी नहीं था।
कुछ ही देर में पड़ोसियों की भीड़ लग गई और उनके सभी दूर के रिश्तेदार भी पहुंच गए।

तन्वी भी पहुंच गई थी क्योंकि तन्वी की दादी मां और नेहा की दादी दोनो फ्रेंड्स थी।
तन्वी भी एक एक्सीडेंट में अपने पेरेंट्स को खो चुकी थी और उसके पास फैमिली के नाम पर कुछ भी नही था।

नेहा के घर का माहौल देख कर तन्वी भी फफक पड़ी। तीन लाशें लाइन से रखी हुई थी और घर में कोई दाह संस्कार करने वाला भी नहीं था।

(नेहा को कुछ भी नही पता था इस बारे में, वो तो सबको सरप्राईज देना चाहती थी इसलिए किसी को कॉल भी नही किया,,,,,,,,वरना सोनम पूछती कि ये आवाज कहां से आ रही है। वो फ्लाइट में बैठ चुकी थी घर आने के लिए। लेकिन वो इन सबसे बेखबर थी घर जाकर उसे ही अपनी जिंदगी का सबसे बड़ा सरप्राइज़ मिलने वाला है,,,,,,,जिसका झटका शायद ही वो सहन कर पाए।)

सबने अनिल और नेहा के बारे में तरह तरह के कयास लगा लिए थे। कोई कह रहा था दोनो बहन भाई सारे पैसे लेकर भाग गए तो कोई कह रहा था दोनो ने मिल कर हो अपने मां बाप की हत्या की है प्रॉपर्टी के लिए।

कुछ देर में ही पुलिस भी आ गई लाशों को पोस्टमार्टम के लिए ले जाने के लिए।
तन्वी ने पोस्टमार्टम के लिए मना कर दिया था। क्योंकि उसमे भी परिवार वालो को सहमति और सिग्नेचर चाहिए,,,,,, उसे तो अनिल और नेहा के बारे में कुछ भी नही पता था।
पुलिस भी वहां से चली गई तन्वी के मना करने के बाद।

तन्वी ने एक हॉस्पिटल में कॉल किया और तीनो के जो भी ऑर्गन डोनेट हो सकते थे वो सब किए,,,,,,कुछ फॉर्मेलिटी फिल की और उसने अपने बल बूते पर तीनो लाश का अंतिम संस्कार किया।

सब कुछ करने के बाद तन्वी को ये समझ नही आ रहा था कि बाकी सब कैसे हैंडल करे। लाइक उनके घर की देखरेख वगेरह। उस दिन तो वो अपने घर आ गई ये सोच कर कि कल किसी वकील से बात करके इस घर को किसी अनाथ आश्रम को दे देगी।

अगले दिन तन्वी नेहा के घर गई,,,,,,,पूरी तरह से शांत और निर्जीव लग रहा था वो घर।
तभी नेहा अपने सामान के साथ घर के अंदर आई और चिल्लाने लगी "दीदी" "पापा" "मम्मा" "अनिल भाई" देखो मैं आ गई,,,,,आप सबके लिए सरप्राईज है.......!

तन्वी उसकी आवाज सुन कर बाहर आती है और सामने नेहा को देख कर हैरान रह जाती है। चूंकि वो पहले अपनी दादी के साथ काफी बार आ चुकी थी उनके घर तो वो नेहा को पहचान गई।
नेहा भी तन्वी को देख कर "तन्वी दी......आप.....?"

तन्वी की आंखें भर आती है ये सोच कर कि इस मासूम को तो कुछ पता भी नही और लोगो ने ना जाने कितने ही लांछन लगा दिए इस निर्दोष पर। जब इसको सब पता चलेगा तो कैसे संभालेगी खुद को।

नेहा तन्वी को सोच में गुम देख कर पूछती है "क्या हुआ दी....? किस सोच में चली गई आप?"

तन्वी होश में आते हुए "नही,,,,,कुछ नही। तुम अभी आई हो ना पहले आराम करो। सब लोग मंदिर गए हैं।"

नेहा तन्वी के पास पड़े सोफे पर पसर जाती है। वो बुरी तरह सफर में था गई थी इसलिए ना जाने कब उसकी आंख लग गई।
आंख खोलने पर देखा कि तन्वी अभी भी उसके सामने ही बैठी है। उसने तुरंत आंखें खोल कर कहा "दी, अभी तक नही आए हैं क्या वो लोग?"

तन्वी उसको सच बताने में ही भलाई समझती है। क्योंकि कब तक वो इस बात को छुपा पाती।

तन्वी ने नेहा के पास बैठ कर उसका हाथ अपने हाथों में लिया और उसे सब कुछ बता दिया।
नेहा तो ये सब सुन कर ही बेहोश हो गई। उसे बहुत तेज का झटका लगा था। अगले तीन दिन तक नेहा होश में ही नही आई। जब होश आया तो वो तन्वी के घर पर थी।

होश में आने बाद नेहा बिलकुल भी नहीं रोई,,,,,,कोई भी नही कह सकता था उसको देख कर कि इस लड़की ने कल ही अपनी को खोया है।
तन्वी ने नेहा को संभाला। लेकिन नेहा की हालत देख कर तन्वी को समझ नही आ रहा था कि वो कैसा महसूस कर रही है। तन्वी ने डॉक्टर को भी बुलाया लेकिन नेहा ने साफ मना कर दिया ये कह कर कि वो पूरी तरह ठीक है मानसिक तौर से भी और शारीरिक तौर से भी।

कुछ दिन बाद सब कुछ नॉर्मल हो गया था। नेहा ने कोलकाता से अपना सारा सामान मंगवा लिया था। वो अब तन्वी के साथ ही रहने लगी थी। यहीं पर एक स्कूल में एडमिशन ले लिया था,,,,,,उसने पूरी तरह अपनी पढ़ाई पर फोकस कर लिया और बच्चो को ट्यूशन वगेरह पढ़ा कर अपना खर्चा उठा लेती थी।

एक दिन नेहा अपने घर गई,,,,, जो अब किसी पुरानी हवेली से कम नहीं लग रहा था। पूरी तरह मकड़ी के जालों ने वहां कब्जा कर लिया था।

वो पहले अपने कमरे में गई और अपनी जरूरी चीजें लेकर बैग में रख ली,,,,,,,फिर अपनी दीदी के कमरे में गई और वहां से सोनम की फेवरेट चीजों को अपने बैग में रखा। उसके बाद वो अपने पापा के कमरे में गई और अलमारी खोल कर देखने लगी। उसने अलमारी से अपने मां पापा की कुछ यादें निकली और अपने बैग में रख ली।
नेहा वहां से बाहर निकलने लगी तो उसकी नजर एक ड्रावर पर गई। उसने अलमारी से चाबी निकाल कर उसको खोला तो उसमे कुछ पेपर्स थे। ये वही ड्रावर था जिसको उसके पापा ने आज तक हाथ नही लगाने दिया था।
नेहा ने पेपर्स पढ़ने शुरू किए तो सबसे पहले वो पेपर्स थे जिसमे वो घर उसके नाम था 18 साल की होने के बाद। नीचे एक और पेपर था जिसमे "अनाथ आश्रम से नेहा को एडॉप्ट करने की सारी इंफॉर्मेशन थी।" उसको पढ़ कर नेहा को यकीन नही हुआ। उसे समझ ही नही आ रहा थी कि इतने अच्छे लोग भी हैं इस दुनिया में। उसके लिए ये विश्वास करना लगभग नामुमकिन था कि वो लोग उसके सगे मम्मी पापा नही थे। उसने अपने आंसुओं को साफ करके आगे पढ़ा। जिसमे लिखा हुआ था
"हमारी नेहा,

पता नही बेटा ये पत्र तुम कभी पढ़ भी पाओगी या नहीं। नेहा बेटा भले ही हमने तुझे गोद लिया है, लेकिन कभी भी तुझे अपनी बेटी से कम नहीं समझा और जब से तू इस घर में आई है तब से लेकर आज तक सिर्फ और सिर्फ खुशियां ही देखी हैं हम लोगो ने। बस मेरी आखिरी इच्छा यही है कि मेरी चिता को मुखाग्नि तू ही दे।"

तुम्हारा पापा"

इतना पढ़ कर नेहा वहीं बैठ गई अपने घुटनों के बल और बुरी तरह रोने लगी।
"जो गैर थे वो अपने बन गए,
जो अपने थे वो भीड़ में खो गए!
जितना जाना था उनको वो काफी नही था,
एक खूबसूरत सा चेहरा उसके भी पीछे छुपा था!!"

तन्वी,,,,,,जो कि नेहा के साथ ही आई थी,,,,,,,वो नेहा की आवाज सुन कर वहां पहुंची और उसने नेहा को अपने गले से लगा लिया। आज पहली बार नेहा रो रही थी। इतनी बुरी तरह नेहा को रोते देख किसी की भी आंखें नम हो जाती।
तन्वी ने नेहा को शांत करने की कोशिश की।
नेहा रोते रोते बोले जा रही थी "दी मैं तो अपने मम्मी पापा को आखिरी पल में देख भी नहीं पाई। कितनी बदकिस्मत लड़की हूं मैं। शायद मुझसे ज्यादा बुरी किस्मत किसी की भी नही हो सकती जिसको अपने मां पापा के आखिरी दर्शन भी नही हुए।" फिर तन्वी के हाथ में वो लेटर देते हुए  "और तो और में अपने पापा की आखिरी इच्छा भी पूरी नहीं कर पाई,,,,,इससे ज्यादा बदकिस्मती और क्या हो सकती है एक औलाद के लिए।"  इतना बोल कर नेहा फिर रोने लगी। तन्वी भी नेहा के साथ रोने लगी।
काफी देर बाद जब नेहा रो कर शांत हो गई तो तन्वी ने उसको पानी पिलाया और उसे वापिस घर ले आई उसके बैग के साथ। उसके काफी दिन बाद तक तन्वी ने नेहा को वहां नही जाने दिया।
नेहा अपना स्कूल कंपलीट कर चुकी थी और कॉलेज में एडमिशन भी ले लिया था। इसी दौरान नेहा 18 साल की भी हो चुकी थी।
एक दिन नेहा ने वकील को बुला कर उस घर का एक छोटा सा हिस्सा अपने पास रखा और बाकी का हिस्सा अनाथ आश्रम के बच्चो के लिए दान कर दिया।

इसी तरह दिन गुजरते रहे। नेहा ने अपना कॉलेज भी कंपलीट कर लिया था।
तन्वी एक कॉलेज में लेक्चरर थी और नेहा ने एक कंपनी में एक छोटी सी पोस्ट ज्वाइन कर ली थी। उसके बाद से अपनी मेहनत और लगन की बदौलत वो मैनेजर की पोस्ट तक पहुंच गई थी।

💫💫💫💫फ्लैशबैक एंड💫💫💫💫


वर्तमान में:-

आदित्य ने अपने आदमियों से अभिजीत के साथ मीटिंग रखने के लिए बोला था।
पहले तो अभिजीत ने मना कर दिया था मीटिंग के लिए। लेकिन बहुत रिक्वेस्ट के बाद उसने मीटिंग फिक्स कर दी।
आदित्य ने जब नेहा को जॉब से निकालने की मुंह मांगी रकम देने की पेशकश अभिजीत के सामने रखी तो अभिजीत ने साफ साफ मना कर दिया।
आदित्य मन मसोस कर रह गया और पैर पटकते हुए वहां से चला गया।


अगले दिन नेहा सुबह एकदम टाइम से ऑफिस पहुंच गई।
ऑफिस पहुंच कर उसने साक्षी से अपना सारा काम समझा और बिना एक पल गवाएं अपने काम में लग गई। वहीं अभिजीत ने अपने सीसीटीवी कैमरा में नेहा का आने से लेकर काम करने तक का सब कुछ नोटिस किया।
बार उसका ध्यान ना चाहते हुए भी सामने स्क्रीन पर जा रहा था जहां नेहा इत्मीनान से बैठ कर अपना काम संभाल रही थी।
शाम को ऑफिस टाइम खत्म होने से पहले वो अभिजीत के केबिन में गई और बड़ी ही शालीनता से अपने पूरे दिन के काम का ब्यौरा उसकी टेबल पर रख दिया।
अभिजीत ने फाइल में देखते हुए कहा "गुड! आज का काम काफी अच्छा रहा। उम्मीद है आप आगे भी इतनी ही मेहनत और लगन से काम करेंगी।"
नेहा ने "यस सर" कह कर हां में अपनी गर्दन हिला दी।
अभिजीत ने वो फाइल्स उसे लौटाते हुए कहा "अब आप जा सकती हैं।"
नेहा फाइल ली और अपने केबिन के ड्रॉर में रखा और अपना पर्स, मोबाइल उठा कर बाहर आ गई।
उसने पार्किंग से अपनी स्कूटी निकाली और अपने घर की तरफ चल पड़ा।

वहीं अभिजीत को नेहा का व्यवहार सोचने पर मजबूर कर रहा था। अभिजीत ने भी अपनी सोच को विराम दिया और सारा सामान समेट कर घर चला गया।

कुछ महीने तक ऐसे ही चलता रहा। नेहा हमेशा टाइम पर आती और अभिजीत का दिया हर एक काम और प्रोजेक्ट टाइम से पहले पूरा करके उसको दे देती। कभी भी उसने अभिजीत को शिकायत का मौका नहीं दिया। अभिजीत भी उसकी मेहनत और लगन का कायल हो गया था। आखिर होता भी क्यों नही,,,,,छुट्टी के दिन भी नेहा ने बिना कहे ऑफिस का हर जरूरी काम किया है।

बस फर्क सिर्फ इतना था कि अभिजीत शायद नेहा की तरफ अट्रैक्ट हो रहा था और नेहा अपना बदला पूरा करने के लिए दिन रात एक कर रही थी।

एक दिन अभिजीत ने नेहा के सामने एक प्रोजेक्ट की फाइल रखी।
नेहा ने उसको पढ़ा और जैसे ही उस पर साइन करने को हुई तो अभिजीत ने उसको रोकते हुए कहा "इस प्रोजेक्ट के लिए हमे नैनीताल जाना होगा और उसके लिए मेरी एक शर्त है! अगर शर्त मंजूर हो तो ठीक है वरना आप ये जॉब छोड़ सकती हैं मिस नेहा!"

नेहा ने नजर उठा कर अभिजीत की तरफ देखा ये सोच कर कि ऐसी भी क्या शर्त है जिसे सुन कर मुझे जॉब छोड़ने की नौबत आ सकती है।
उसने अभिजीत की तरफ बिना किसी एक्सप्रेशन के देखा फिर झूठी स्माइल लाते हुए कहा "यस सर,,,,,मुझे हर शर्त मंजूर है!"

अभिजीत ने अपने चेहरे का भाव बदलते हुए कहा "एक बार फिर से सोच लीजिए,,,,कहीं ऐसा ना हो कि ये फैसला आपको महंगा पड़ जाए!"

नेहा ने अपने मन में कहा "मुझे मेरा मकसद पाने के लिए हर हद से गुजरना भी मंजूर है और आप यहां सिर्फ एक शर्त की बात कर रहे हैं!"
उसने लचारगी से अभिजीत की तरफ देखते हुए कहा "यस सर मैने सोच लिया है, मुझे आपकी हर शर्त मंजूर है!"

अभिजीत ने एक और पेपर उसके सामने रख दिया जिसमे साफ साफ लिखा था "नैनीताल में नेहा को अभिजीत की वाइफ बन कर रहना पड़ेगा!"
उसे पढ़ कर एक बार तो नेहा शॉक हो जाती फिर अगले ही पल सोचती है "आखिर ऐसी क्या मजबूरी है.....?"
उसने बहुत हिम्मत करके अभिजीत से पूछा " सर क्या मैं इसके पीछे की वजह जान सकती हूं?"

अभिजीत ने उसके हाथ से पेपर लेते हुए कहा "अगर आपको शर्त मंजूर है तो बोलिए वरना आप जा सकती हैं! मुझे सवाल जवाब पसंद नही!"

नेहा ने दांत पीसते हुए अभिजीत के हाथ से वो पेपर्स लिए और उन पर साइन करके पैर पटकते हुए उसके केबिन से बाहर चली गई।

उसके जाने के बाद अभिजीत ने अपने आप से कहा "तुमसे बेहतर और कोई भी लड़की इस सिचुएशन को हैंडल नही कर सकती इसलिए आई चूज यू!"

नेहा शाम को जल्दी ही अपने घर आ गई क्यूंकि उसको पैकिंग भी करनी थी कल के लिए।
उसने सबसे पहले तन्वी को बताया इस प्रोजेक्ट और डील के बारे में। पहले तो तन्वी उसको भेजने के लिए तैयार नहीं हुई क्योंकि वो बहुत ज्यादा पोसेसिव थी नेहा को लेकर। लेकिन फिर नेहा ने समझाया तो तन्वी भी मान गई।
नेहा ने कल के लिए पूरी पैकिंग कर ली थी।

वहीं अभिजीत ने भी घर जाकर नैनीताल जाने की सारी पैकिंग कर ली थी और अपने जरूरी डॉक्यूमेंट्स और कुछ कागज भी अपने बैग में रख लिए थे।

अगले दिन:

नेहा सुबह जल्दी ही रेडी हो गई थी और अभिजीत को कॉल करके बता दिया था कि वो तैयार हैं।
कुछ ही देर में अभिजीत भी अपनी गाड़ी लेकर उसके घर पहुंच गया। नेहा ने अपना बैग उठाया और तन्वी से गले मिल कर गाड़ी में बैठ गई। वो गाड़ी के अंदर से ही तन्वी को बाय करती रही। तन्वी भी तब तक वहां खड़ी रही जब तक कि वो गाड़ी उसकी आंखों से ओझल ना हो गई।
गाड़ी जाने के बाद तन्वी भी अपने घर के अंदर चली गई।

गाड़ी में अभिजीत और नेहा पीछे की सीट पर बैठे थे आगे ड्राइवर और और उसकी लेफ्ट वाली सीट पर एक बॉडी गार्ड बैठा था। करीब 3-4 गाड़ियां उनकी गाड़ी के आगे पीछे चल रही थी।

कुछ देर बाद नेहा को पता नही क्या शरारत सूझी कि उसने अपना एक हाथ अभिजीत के पीछे से लेकर उसके बालों से लेकर काम तक फिराने लगी।
अभिजीत को गुदगुदी हो रही थी।
उसने नेहा का हाथ हटाते हुए कहा "ये बतमीजी है miss नेहा? वैसे भी आज सुबह से आपके बोलने का तरीका भी बहुत हद तक बदला बदला नजर आ रहा है। पहले कितनी इज्जत से आप बोलती थी आप और आज सुबह से तुम के अलावा कुछ बोल ही नहीं रही हो! अगर आप भूल गई हों तो मैं आपको याद दिला दूं की मैं आपका बॉस हूं!"
नेहा को तो जैसे अभिजीत के कहने का कुछ फर्क ही नहीं पड़ा। उसने बड़ी ही लापरवाही से जवाब दिया "ओफ्फो! मैं तो आपकी नकली वाइफ बनाने की एक्टिंग कर रही हूं!"

अभिजीत उसकी बात सुन कर और चिढ़ जाता है और मुंह फेर कर दूसरी तरफ कर लेता हैं। नेहा भी मन ही मन मुस्कुराते हुए दूसरी तरफ मुंह करके बैठ जाती है।

पूरे दिन का लंबा सफर तय करके वो लोग रात 2 बजे तक नैनीताल पहुंच ही गए।

क्रमश:.........🐬🌞



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5 Comments

Fiza Tanvi

20-Nov-2021 01:12 PM

Nice

Reply

Sana khan

28-Aug-2021 06:17 PM

Osm

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Fiza Tanvi

27-Aug-2021 12:13 PM

Nice

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